देवन जबहीं जाय पुकारा। तब ही दुख प्रभु आप निवारा॥
Victory towards the spouse of Girija, the compassionate Lord. He always safeguards and nurtures his devotees and youngsters. Using a crescent moon adorning his forehead, And earrings made of snakes’ hoods.
Lord, when the ocean was churned along with the deadly poison emerged, out of Your deep compassion for all, You drank the poison and saved the entire world from destruction. Your throat turned blue, As a result You happen to be often known as Nilakantha.
अर्थ: हे प्रभु जब क्षीर सागर के मंथन में विष से भरा घड़ा निकला तो समस्त देवता व दैत्य भय से कांपने लगे (पौराणिक कथाओं के अनुसार सागर मंथन से निकला यह विष इतना खतरनाक था कि उसकी एक बूंद भी ब्रह्मांड के लिए विनाशकारी थी) आपने ही सब पर मेहर बरसाते हुए इस विष को अपने कंठ में धारण किया जिससे आपका नाम नीलकंठ हुआ।
अथ श्री बृहस्पतिवार व्रत कथा
अर्थ: पवित्र मन से इस पाठ को करने से भगवान शिव कर्ज में डूबे को भी समृद्ध बना देते हैं। यदि कोई संतान हीन हो तो उसकी इच्छा को भी भगवान शिव का प्रसाद निश्चित more info रुप से मिलता है। त्रयोदशी (चंद्रमास का तेरहवां दिन त्रयोदशी कहलाता है, हर चंद्रमास में दो त्रयोदशी आती shiv chalisa lyricsl हैं, एक कृष्ण पक्ष में व एक शुक्ल पक्ष में) को पंडित बुलाकर हवन करवाने, ध्यान करने और व्रत रखने से किसी भी प्रकार का कष्ट नहीं रहता।
पुत्र हीन कर इच्छा कोई। निश्चय शिव प्रसाद तेहि होई॥
कठिन भक्ति देखी प्रभु शंकर। भये प्रसन्न दिए इच्छित वर॥
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भजन: शिव शंकर को जिसने पूजा उसका ही उद्धार हुआ
कर त्रिशूल सोहत छवि भारी। करत सदा शत्रुन क्षयकारी॥
स्वामी एक है आस तुम्हारी। आय हरहु मम संकट भारी॥
वेद माहि महिमा तुम गाई। अकथ अनादि भेद नहिं पाई॥
शिव चालीसा के सरल शब्दों से भगवान शिव को आसानी से प्रसन्न किया जा सकता है।